“योग रत्नाकर” (2 खंड) मधान शेट्टी सुरेश बाबू द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो योग के प्राचीन और समृद्ध ज्ञान का व्यापक संकलन प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पहलुओं, जैसे आसन, प्राणायाम, ध्यान, और यौगिक चिकित्सा का विस्तृत वर्णन किया गया है।
लेखक ने योग के शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभों को गहराई से समझाया है, जिससे पाठक न केवल अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक विकास भी प्राप्त कर सकते हैं। यह ग्रंथ योग की विभिन्न विधियों को चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे योग साधकों और विद्यार्थियों को इसका अभ्यास करने में आसानी होती है।
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