पातञ्जलयोगदर्शनम्” देवी सहाय पांडे द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो पातञ्जलि के योग सूत्रों के गहन और विस्तृत अध्ययन पर आधारित है। यह पुस्तक पातञ्जलि के योग दर्शन को समझने और आत्मसात करने के लिए एक सुसंगत और व्यावहारिक मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है।
पुस्तक का विवरण:
“पातञ्जलयोगदर्शनम्” पातञ्जलि के योग सूत्रों के दर्शन, सिद्धांत और प्रथाओं की विस्तृत व्याख्या करती है। देवी सहाय पांडे ने इस ग्रंथ में पातञ्जलि के सूत्रों को हिंदी में सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को योग के गूढ़ सिद्धांतों को समझने में आसानी होती है।
मुख्य विशेषताएँ:
- योग सूत्रों की व्याख्या: पुस्तक में पातञ्जलि के योग सूत्रों का विस्तार से अनुवाद और व्याख्या की गई है। देवी सहाय पांडे ने सूत्रों के गहरे अर्थ को स्पष्ट करने के लिए एक सहज और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे पाठक योग दर्शन की जटिलताओं को समझ सकें।
- आठ अंगों का वर्णन: पातञ्जल योगदर्शनम् में पातञ्जलि के अष्टांग योग (योग के आठ अंग) का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें यम (नीतियाँ), नियम (अनुशासन), आसन (मुद्राएँ), प्राणायाम (श्वास-प्रश्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (संवेदनाओं का निरोध), धारणा (ध्यान की एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), और समाधि (आध्यात्मिक विलय) शामिल हैं। ये अंग योग साधना के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें अपने जीवन में लागू करने के लिए आवश्यक हैं।
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