कर्म विपाक संहिता” श्री शंभू दत्त त्रिपाठी द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रंथ है। यह पुस्तक कर्मों के परिणाम और उनके प्रभावों के अध्ययन पर केंद्रित है।
इस ग्रंथ में, लेखक ने कर्मों के परिणामस्वरूप जीवन में आने वाले सुख-दुख, समस्याएँ और उनके समाधान पर विस्तृत चर्चा की है। इसमें कर्मों के विभिन्न प्रकार, उनके फलस्वरूप होने वाले परिणाम, और इन परिणामों को समझने और प्रबंधित करने के तरीकों पर जानकारी दी गई है।
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