अग्नि पुराण हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में से एक है, जिसे भगवान शिव के पुत्र, भगवान अग्नि के नाम पर नामित किया गया है। यह पुराण मुख्य रूप से अग्नि देवता से संबंधित विषयों पर केंद्रित है और इसमें धार्मिक, सांस्कृतिक, और दार्शनिक जानकारी समाहित है।
अग्नि पुराण का वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं में किया जा सकता है:
- विवरण और संरचना: अग्नि पुराण 80 अध्यायों (अध्यायों) में विभाजित है और इसमें कुल 15,400 श्लोक (काव्यात्मक पंक्तियाँ) होती हैं।
- कथा और उद्देश्य: इस पुराण में प्रमुख रूप से अग्नि देवता की पूजा विधियाँ, अनुष्ठान और उनके लाभों के बारे में बताया गया है। इसके अतिरिक्त, यह पुराण धार्मिक आचार-विचार, रीतियों और संस्कारों के विषय में भी जानकारी प्रदान करता है।
- धार्मिक उपदेश: अग्नि पुराण में हिन्दू धर्म के विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों, जैसे कि कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष और भक्ति, पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें धार्मिक अनुष्ठानों और संस्कारों की विधियाँ और उनकी महत्ता भी वर्णित है।






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