“व्युत्पत्तिवाद” बच्चा झा द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भारतीय भाषाशास्त्र और दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में विशेष स्थान रखता है। इस ग्रंथ में शब्दों की उत्पत्ति और उनके विकास के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया गया है।
बच्चा झा एक प्रसिद्ध विद्वान और भाषाशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय भाषाओं और उनके व्याकरण का गहन अध्ययन किया। “व्युत्पत्तिवाद” में, उन्होंने शब्दों के निर्माण और उनके अर्थ के विकास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया है। यह ग्रंथ शब्दों की जड़ों, उनके ऐतिहासिक विकास और उनके विभिन्न अर्थों का विवरण प्रस्तुत करता है।
बच्चा झा ने इस ग्रंथ में व्याकरण और शब्द संरचना के नियमों को स्पष्ट किया है, जिससे यह भाषा और व्याकरण के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ स्रोत बन गया है। “व्युत्पत्तिवाद” भारतीय भाषाशास्त्र के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जाता है और भाषाई अध्ययन के क्षेत्र में इसकी मान्यता है।
इस प्रकार, “व्युत्पत्तिवाद” न केवल भाषाशास्त्रियों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक मूल्यवान संसाधन है जो भारतीय भाषाओं और उनके व्याकरणिक संरचनाओं को गहराई से समझना चाहते हैं।






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