“वैरागी” (Vairagi) एक भारतीय धार्मिक और तात्त्विक अवधारणा है जो विशेष रूप से सन्यास और भिक्षाटन के जीवन को दर्शाती है। यह शब्द आमतौर पर उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो सांसारिक इच्छाओं और भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहकर आत्मा की खोज और धार्मिक साधना में लगे रहते हैं।
“वैरागी” का वर्णन निम्नलिखित है:
- वैराग्य की अवधारणा: वैराग्य का मतलब होता है ‘वैराग’ यानी सांसारिक वस्तुओं और इच्छाओं से मुक्त रहना। वैरागी वे लोग होते हैं जो भौतिक दुनिया की चमक-दमक और भोग-विलास से दूर रहते हैं और आत्मा की खोज और आत्मा के साथ एकत्व की ओर अग्रसर होते हैं।
- वैरागी का जीवन: वैरागी आमतौर पर एक साधू, सन्यासी, या योगी होता है जो सांसारिक जीवन की सभी चिंताओं और इच्छाओं से मुक्त रहता है। वे साधना, ध्यान, और धार्मिक आचरण में समय व्यतीत करते हैं और समाज से अलग होकर अपने आत्मिक उद्देश्य की खोज करते हैं।
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