“तीसरा नेत्र – भाग 2” (Teesara Netra – Part 2) अरुण कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक पहले भाग के जारी होने के बाद, रहस्यमय और आध्यात्मिक विषयों पर गहराई से चर्चा करती है।
“तीसरा नेत्र – भाग 2” पुस्तक का विवरण निम्नलिखित है:
- पुस्तक का उद्देश्य: “तीसरा नेत्र – भाग 2” का मुख्य उद्देश्य पाठकों को आध्यात्मिक और रहस्यमय दृष्टिकोण से गहरे रहस्यों और सच्चाईयों को समझाने में मदद करना है। यह पुस्तक तात्त्विक और ध्यान संबंधी विषयों पर और गहराई से प्रकाश डालती है।
- ‘तीसरा नेत्र” का द्वितीय खण्ड आपके समक्ष प्रस्तुत है। इस ‘खण्ड’ के विषयों को संकलित करने में विशेष रूप से किसी प्रकार की समस्या उपस्थित नहीं हुई। लेकिन संकलन काल में अनेक प्रकार की जिज्ञासाओं का उदय अवश्य हुआ हृदय में। पिताश्री अरुण कुमार जी शर्मा द्वारा उन महत्वपूर्ण जिज्ञासाओं का समाधान अति आवश्यक था। इसके लिए सर्वप्रथम मैंने अपनी प्रमुख जिज्ञासाओं की प्रश्न रूप में एक सूची बनाई और उसे पिताश्री के सम्मुख प्रस्तुत की। उन्होंने सूची देखकर कहा- ऐसे नहीं होगा। जिज्ञासा गम्भीर है अपने आपमें। तुम प्रश्न करो, और मैं उसका समुचित उत्तर दूंगा। यह सुनकर प्रसन्नता हुई मुझे | एक दिन अवसर देखकर मैंने पूछा- हिमालय और तिब्बत यात्रा काल में आपने जिन सिद्ध साधकों और सन्त-महात्माओं का दर्शन लाभ किया | उनसे आपका साक्षात्कार पूर्वनियोजित था अथवा उसे संयोग मात्र कहा जाएगा ? सब कुछ पूर्व नियोजित होता है | उसके अनुसार जब भौतिक रूप में घटना घटती है तो उसे संयोग कहते हैं | क्या उन महान और दिव्य पुरुषों का अस्तित्व आज भी है?
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