श्रीमद् वाल्मीकि रामायणस्य सुंदरकांड वाल्मीकि रामायण का पाँचवाँ कांड है, जो हनुमान की वीरता और भक्ति को केंद्र में रखता है। सुंदरकांड का नाम ‘सुंदर’ (सुंदर) और ‘कांड’ (खंड) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘सुंदर भाग’। यह कांड विशेष रूप से हनुमान के लंका जाने और सीता माता से मिलने की कथा को दर्शाता है।
सुंदरकांड का संक्षिप्त विवरण:
- हनुमान का प्रस्थान – जब श्रीराम और लक्ष्मण की खोज में हनुमान को सीता का पता लगाने के लिए भेजा जाता है, तो वह अपने बल और साहस के साथ समुद्र को पार करके लंका पहुंचते हैं।
- लंका का दर्शन – लंका पहुँचकर हनुमान ने वहाँ का वर्णन किया और देखा कि यह एक अत्यंत भव्य और समृद्ध नगर है, लेकिन रावण के अधीन है।
- सीता माता से मिलन – हनुमान सीता माता को अशोक वाटिका में खोजते हैं। वे सीता माता से मिलते हैं और उन्हें श्रीराम का संदेश देते हैं। सीता माता को आश्वस्त करते हैं और उन्हें रावण के अधीन होने की स्थिति को समझाते हैं।






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