शुक्लयजुर्विधानसूत्रम् (Shuklayajurved Vidhanasutram) कात्यायन महर्षि द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथ है, जो शुक्ल यजुर्वेद से संबंधित विधानों और अनुष्ठानों का विस्तार से वर्णन करता है। यह ग्रंथ संस्कृत में है और इसमें यज्ञ, हवन, और अन्य वैदिक अनुष्ठानों के नियमों का वर्णन मिलता है।
ग्रंथ के मुख्य विषय:
- शुक्ल यजुर्वेद का परिचय: इसमें शुक्ल यजुर्वेद के विभिन्न शाखाओं, सूत्रों और उनके महत्व का वर्णन किया गया है। शुक्ल यजुर्वेद वैदिक साहित्य का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें यज्ञ और हवन की विधियों का विस्तार से वर्णन है।
- विधानसूत्र का स्वरूप: शुक्लयजुर्विधानसूत्रम् में यज्ञ और अनुष्ठानों के लिए आवश्यक विधानों का नियमबद्ध स्वरूप दिया गया है। इसमें यज्ञ की सामग्री, मंत्रों का चयन, और अनुष्ठान की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है।
- यज्ञ और हवन विधि: ग्रंथ में विभिन्न यज्ञों और हवन की विस्तृत विधियों का वर्णन है, जिसमें विशेष रूप से अग्निहोत्र, सोमयज्ञ, और अन्य महत्वपूर्ण वैदिक यज्ञों का विधान शामिल है।






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