सारावली (Saravali) एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रंथ है, जिसे कालयवन के समय में कालीदास नामक विद्वान ने लिखा था। यह ग्रंथ वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों और नियमों का विस्तृत और सुसंगठित विवेचन प्रस्तुत करता है। सारावली का प्रमुख उद्देश्य ज्योतिष विद्या का संपूर्ण ज्ञान प्रदान करना और विभिन्न ग्रहों, राशियों, और भावों के प्रभावों का विश्लेषण करना है।
ग्रंथ का परिचय
सारावली शब्द का अर्थ है “सार का संग्रह”। यह ग्रंथ ज्योतिष शास्त्र का एक विस्तृत संग्रह है, जिसमें विभिन्न ज्योतिषीय नियमों और सिद्धांतों का समावेश किया गया है। यह ग्रंथ 10वीं से 12वीं सदी के बीच लिखा गया माना जाता है और इसे भारतीय ज्योतिष विद्या में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
लेखक और उत्पत्ति
कालयवन के समय में कालीदास नामक एक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ने इस ग्रंथ की रचना की थी। कालीदास ने इस ग्रंथ में प्राचीन ज्योतिषीय ज्ञान को संकलित किया और उसे व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किया। यह ग्रंथ संहिता शैली में लिखा गया है, जिसमें प्रत्येक विषय को स्पष्ट और विस्तार से समझाया गया है।
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