प्रत्यभिज्ञादर्शन-विमर्श” (Pratyabhigyadarsana-Vimarsha) by Indu Sharma
“प्रत्यभिज्ञादर्शन-विमर्श” इंदु शर्मा द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय दार्शनिकता के प्रतयभिज्ञा (अधिकार की पुनः पहचान) दर्शन पर आधारित है। यह पुस्तक विशेष रूप से कश्मीरी शैव दर्शन की गहन अवधारणाओं और सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करती है।
पुस्तक में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
- प्रत्यभिज्ञा दर्शन का परिचय: प्रत्यभिज्ञा दर्शन की परिभाषा, उसका महत्व, और इसके मूल सिद्धांतों की चर्चा की गई है। कश्मीरी शैव दर्शन के तहत प्रत्यभिज्ञा के तत्व और उनके धार्मिक और दार्शनिक संदर्भ को स्पष्ट किया गया है।
- सिद्धांत और विचार: प्रत्यभिज्ञा दर्शन के प्रमुख सिद्धांतों, उनके स्रोतों, और उनके दर्शन में भूमिका की विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें आत्मा, ब्रह्मा, और अस्तित्व के प्रश्नों पर चर्चा की गई है।
- विमर्श और विश्लेषण: प्रत्यभिज्ञा दर्शन की गहरी समझ प्राप्त करने के लिए विभिन्न विमर्श और विश्लेषण प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें दर्शन की आलोचनात्मक समीक्षा और विभिन्न दृष्टिकोणों की तुलना की गई है।






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