“पाणिनीय शिक्षा” एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जो व्याकरण के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाता है। यह ग्रंथ पाणिनि, संस्कृत व्याकरणकार के नाम पर आधारित है और इसने व्याकरण की मौलिक सिद्धांतों को संगृहीत किया है। “पाणिनीय शिक्षा” में भाषा के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है, जैसे कि वर्ण, मात्रा, संधि, संज्ञा, कारक, क्रिया, उपसर्ग, प्रत्यय आदि। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा के सही उच्चारण और व्याकरण के मानकों को स्पष्ट करने का प्रयास करता है।
प्रह्लाद एक प्राचीन भारतीय पुराणिक कथाओं में एक प्रसिद्ध चरित्र है। उनके पिता हिरण्यकश्यप राजा बने हुए थे, लेकिन प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के भक्त होने का गर्व किया। उन्होंने अपने पिता के अत्याचारों का विरोध किया और भगवान के प्रति अपना विश्वास नहीं छोड़ा। प्रह्लाद का चरित्र उदाहरणीय साहस और निष्ठा का प्रतीक है, जो उनके असीम श्रद्धा को दर्शाता है।
(Pt. Sri Rudraprasadawasthikrit-Swarvaidikpanktivivaran-satippan “Pradeep” sanskrit tika “Prahalad” hindi vya.)






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