मयमतम्” डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ द्वारा संपादित और अनुवादित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो वास्तुशास्त्र के प्राचीन भारतीय ज्ञान का विस्तृत वर्णन करता है। यह ग्रंथ मय नामक प्राचीन वास्तुविद द्वारा रचित है और यह वास्तुकला के सिद्धांतों, नियमों और अनुप्रयोगों पर आधारित है। डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ ने “मयमतम्” के दो खंडों में इसका अनुवाद और संपादन किया है, जिससे आधुनिक पाठकों को इस मूल्यवान ज्ञान को समझने और लागू करने में सहायता मिलती है।
“मयमतम्” (दो खंड) में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर प्रकाश डाला गया है:
खंड 1:
- वास्तुशास्त्र के सिद्धांत:
- वास्तुशास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन।
- पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन और महत्व।
- दिशाओं का महत्व और उनके अनुसार निर्माण के नियम।
- भूमि और भवन चयन:
- सही भूमि का चयन, भूखंड का आकार, दिशा और भूखंड की स्थिति के बारे में जानकारी।
- भूमि परीक्षण, भूमि के झुकाव, और मिट्टी के प्रकार का महत्व।
- भवन निर्माण के लिए शुभ मुहूर्त और समय का चयन।






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