गीता साधक संजीवनी” (Gita Sadhak Sanjivani) स्वामी रामसुखदास जी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवद्गीता के श्लोकों की व्याख्या सरल और व्यावहारिक तरीके से की गई है। स्वामी रामसुखदास जी एक प्रसिद्ध संत और वेदांत के विद्वान थे, जिन्होंने भगवद्गीता के ज्ञान को साधकों के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से यह ग्रंथ लिखा।
मुख्य बिंदु:
- सरल और व्यावहारिक भाषा:
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“गीता साधक संजीवनी” की विशेषता यह है कि इसमें भगवद्गीता के गूढ़ और दार्शनिक श्लोकों को अत्यंत सरल और स्पष्ट भाषा में समझाया गया है।
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स्वामी रामसुखदास जी ने कठिन संस्कृत श्लोकों का हिन्दी में सरल अनुवाद प्रस्तुत किया है, जिससे आम साधक भी इसे आसानी से समझ सकें।
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प्रत्येक श्लोक की विस्तृत व्याख्या:
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ग्रंथ में भगवद्गीता के प्रत्येक श्लोक की विस्तृत व्याख्या की गई है। इसमें श्लोक के अर्थ, संदर्भ, और उसकी व्यावहारिक उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
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प्रत्येक श्लोक का तात्त्विक और आध्यात्मिक अर्थ समझाते हुए स्वामी जी ने उसके जीवन में कैसे उतारा जा सकता है, इस पर विशेष बल दिया है।
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