गौडपादसार (खंड 1-2) – श्री महेशानंद गिरिजी
“गौडपादसार” श्री महेशानंद गिरिजी द्वारा रचित एक महत्त्वपूर्ण दार्शनिक ग्रंथ है, जो दो खंडों में विभाजित है। यह ग्रंथ प्रमुख रूप से अद्वैत वेदांत के महान आचार्य गौडपाद द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्हें श्री महेशानंद गिरिजी ने सरल और सुबोध शैली में प्रस्तुत किया है।
गौडपादाचार्य ने अद्वैत वेदांत के गूढ़ रहस्यों और ब्रह्मज्ञान पर गहन प्रकाश डाला था, और “गौडपादसार” इन शिक्षाओं का सार है। इसमें आत्मा, जगत, माया, और ब्रह्म के संबंध को विस्तार से समझाया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से साधक अद्वैत वेदांत के मूलभूत सिद्धांतों को समझ सकते हैं और आत्मबोध के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
श्री महेशानंद गिरिजी ने गौडपादाचार्य के गूढ़ दर्शन को स्पष्टता और सरलता से प्रस्तुत किया है, ताकि यह सामान्य पाठकों के लिए भी बोधगम्य हो सके। ग्रंथ में शास्त्रार्थ, तर्क, और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करने वाले कई महत्त्वपूर्ण विषयों को उठाया गया है।
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