**बृहत्-संस्कृत शिक्षावतिका (चार भागों में)**
**लेखक:** श्री जगन्नाथ शुक्ल
**प्रकाशक:** चौखम्बा संस्कृत सीरीज़ ऑफिस
**विवरण:**
बृहत्-संस्कृत शिक्षावतिका चार भागों में विभाजित एक व्यापक ग्रंथ है, जिसे संस्कृत व्याकरण और शिक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पुस्तक संस्कृत भाषा सीखने और समझने के लिए आवश्यक नियमों, सिद्धांतों और व्याकरणिक संरचनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें संस्कृत भाषा की शिक्षा को सरल और सुलभ बनाने के लिए विभिन्न अध्यायों का समावेश किया गया है।
प्रत्येक भाग में विषय-वस्तु को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठक को व्यवस्थित ढंग से अध्ययन करने में सहायता मिलती है। यह ग्रंथ विशेष रूप से संस्कृत भाषा के अध्येताओं, शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
**प्रमुख विषय:**
– संस्कृत भाषा का मूलभूत व्याकरण
– संधि, समास, धातु, प्रत्यय, और लिंग नियम
– वाक्य रचना और पद संरचना के सिद्धांत
– प्राचीन और आधुनिक व्याकरणिक परंपराओं का तुलनात्मक अध्ययन
**उपलब्धता:**
यह ग्रंथ चौखम्बा संस्कृत सीरीज़ ऑफिस द्वारा प्रकाशित किया गया है और इसे ऑनलाइन विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं से खरीदा जा सकता है【22†source】【23†source】【24†source】।
इस ग्रंथ का उद्देश्य संस्कृत भाषा की गहनता को समझना और इसे सुगमता से सीखने में सहायक होना है, जिससे संस्कृत के अध्ययन को बढ़ावा मिले।






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