बृहदारण्यक उपनिषद वेदांत का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो यजुर्वेद का हिस्सा है। इसका नाम संस्कृत शब्द “बृहदारण्यक” से आया है, जिसका अर्थ है “बड़ा वन” या “विशाल वन”, जो इस उपनिषद के धार्मिक और दार्शनिक विचारों की गहराई को दर्शाता है।
इस उपनिषद का अध्ययन मुख्यतः ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग को समझने के लिए किया जाता है। इसमें जीवन के उद्देश्य, आत्मा, ब्रह्मा (ईश्वर), और कर्मों के फल के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है।
मुख्य विषय:
- आत्मा और ब्रह्मा का तात्त्विक ज्ञान: आत्मा की अमरता और ब्रह्मा के साथ उसकी एकता की व्याख्या।
- संन्यास और योग: जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संन्यास और योग के महत्व पर चर्चा।
- यज्ञ और कर्मकांड: धार्मिक कर्मकांड और यज्ञ के महत्व को समझाना।
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