बृहद कृषी पराशर भारतीय कृषि विज्ञान पर एक प्राचीन ग्रंथ है, जो महर्षि पराशर द्वारा लिखा गया है। यह ग्रंथ कृषि से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों को विस्तार से समझाता है। इसके मुख्य अंश निम्नलिखित हैं:
- भूमि की तैयारी और प्रबंधन: बृहद कृषी पराशर में भूमि की जुताई, सिंचाई, और फसल उत्पादन के लिए आवश्यक प्रक्रिया का विस्तृत वर्णन है। यह बताता है कि किस प्रकार की भूमि में कौन सी फसलें उगानी चाहिए और भूमि की उर्वरता कैसे बढ़ाई जा सकती है।
- फसल चक्र और खेती की विधियाँ: इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार की फसलों के चक्र और उनकी खेती की तकनीकों का उल्लेख है। फसल चक्र का पालन करने से भूमि की उर्वरता बनी रहती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
- कृषि उपकरण: प्राचीन कृषि उपकरणों और उनके उपयोग का वर्णन भी इस ग्रंथ में किया गया है। यह बताता है कि विभिन्न उपकरणों का सही तरीके से उपयोग कैसे किया जाए जिससे कृषि कार्य आसान और प्रभावी हो सके।
- जल प्रबंधन: सिंचाई और जल प्रबंधन की विधियों पर भी बृहद कृषी पराशर में जानकारी दी गई है। इसमें वर्षा जल संचयन और जल स्रोतों के सही उपयोग का विवरण है।
- रोग और कीट प्रबंधन: फसलों को रोग और कीटों से बचाने के उपायों का भी वर्णन इस ग्रंथ में किया गया है। इसमें जैविक और प्राकृतिक तरीकों से फसलों की रक्षा के उपाय बताए गए हैं।
- मौसम और जलवायु: विभिन्न मौसम और जलवायु के आधार पर खेती करने की विधियों का वर्णन भी इस ग्रंथ में मिलता है। यह बताता है कि किस मौसम में कौन सी फसलें उगाई जानी चाहिए।
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