“भारतीय प्रतिमाशास्त्र (पारम्परिक प्रवृत्तियाँ)” डॉ. अनुभूति चौहान द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक 312 पृष्ठों की है और 2017 में चौखम्भा कृष्णदास अकादमी द्वारा प्रकाशित की गई है। इसमें भारतीय प्रतिमा विज्ञान की पारंपरिक प्रवृत्तियों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
इस ग्रंथ में देवताओं की मूर्तियों का संपूर्ण अध्ययन किया गया है, जिसमें मूर्तिकला की पारंपरिक शैलियों और विधियों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह पुस्तक न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भों में मूर्तिकला के महत्व को समझाती है, बल्कि इसकी शिल्पकला और सौंदर्यशास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है।
यदि आप भारतीय प्रतिमा शास्त्र में रुचि रखते हैं और इसकी पारंपरिक विधियों को समझना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। इस पुस्तक को आप चौखम्भा के आधिकारिक वेबसाइट्स से खरीद सकते हैं【5†source】【6†source】।






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