भैषज्य कल्पना विज्ञान: हिंदी और संस्कृत में विवरण
संस्कृत में:
भैषज्य कल्पना विज्ञान (भैषज्यकल्पना विज्ञानम्) आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें औषधियों की निर्माण प्रक्रिया, उनकी मात्राएँ, उपयोग विधियाँ, और उनके भंडारण के तरीके आदि का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है। यह शाखा विभिन्न प्रकार की औषधियों जैसे कषाय, अष्टांग, गुटिका, अवलेह, चूर्ण, तैल आदि के निर्माण और प्रयोग विधियों का वर्णन करती है।
भैषज्य कल्पना विज्ञान: हिंदी और संस्कृत में विवरण
संस्कृत में:
भैषज्य कल्पना विज्ञान (भैषज्यकल्पना विज्ञानम्) आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें औषधियों की निर्माण प्रक्रिया, उनकी मात्राएँ, उपयोग विधियाँ, और उनके भंडारण के तरीके आदि का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है। यह शाखा विभिन्न प्रकार की औषधियों जैसे कषाय, अष्टांग, गुटिका, अवलेह, चूर्ण, तैल आदि के निर्माण और प्रयोग विधियों का वर्णन करती है।
हिंदी में:
भैषज्य कल्पना विज्ञान आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें औषधियों की निर्माण प्रक्रिया, उनकी मात्राएँ, उपयोग विधियाँ और उनके भंडारण के तरीके आदि का विस्तारपूर्वक अध्ययन किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की औषधियों जैसे काढ़ा, गोली, चूर्ण, तेल आदि के निर्माण और प्रयोग विधियों का वर्णन किया जाता है।
मुख्य बिंदु:
- औषधियों की निर्माण प्रक्रिया: विभिन्न औषधियों के निर्माण की विधियाँ।
- औषधियों की मात्रा और उपयोग: औषधियों की उचित मात्रा और उनके उपयोग के तरीके।
- भंडारण और संरक्षण: औषधियों के भंडारण और संरक्षण की विधियाँ।
- औषधियों के प्रकार: कषाय, गुटिका, चूर्ण, तैल आदि औषधियों के प्रकार और उनके निर्माण की प्रक्रिया।
संस्कृत उद्धरण:
- औषधियों का निर्माण: “औषधीनां निर्माणं, मात्राः, उपयोगविधयः च आयुर्वेदे महत्वपूर्णं स्थानं प्रतिपाद्यन्ते।”
- भंडारण का महत्व: “औषधीनां संरक्षणं, तेषां दीर्घकालिक उपयोगाय अत्यन्त महत्वपूर्णं अस्ति।”
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