अष्टांग हृदयम् (सूत्रस्थान) – प्राचेत ज्योति
पुस्तक विवरण:
अष्टांग हृदयम् आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जिसे आयुर्वेदाचार्य चरक द्वारा लिखा गया है। इस ग्रंथ के सूत्रस्थान (अथवा सूत्रस्थान) खंड में आयुर्वेद की बुनियादी परिकल्पनाओं और सिद्धांतों का वर्णन किया गया है।
पुस्तक के प्रमुख अंश:
- आयुर्वेद का परिभाषा और उद्देश्य: पुस्तक में आयुर्वेद के सिद्धांतों, उसके उद्देश्य और उसके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। इसमें आयुर्वेद के अष्टांग (आठ अंग) का विवरण है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा का आधारभूत ढांचा प्रस्तुत करता है।
- विभिन्न चिकित्सा प्रणालियाँ: सूत्रस्थान में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों और उनकी प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है। इसमें ह्रदय की स्थिति और उसकी देखभाल पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- स्वास्थ्य और रोग: स्वास्थ्य की स्थिति, रोगों के लक्षण और उनके उपचार के सिद्धांतों का विस्तृत विवरण है।






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