पतंजलि योग दर्शन (Patanjali Yoga Darshan) एक प्रमुख योगिक ग्रंथ है, जिसे महर्षि पतंजलि द्वारा लिखा गया माना जाता है। यह ग्रंथ योग और उसके दर्शन पर आधारित है और इसमें योग की प्राचीन विद्या की बुनियादी अवधारणाओं और सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। पतंजलि योग दर्शन मुख्य रूप से “योग सूत्र” (Yoga Sutras) के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुल 195 सूत्र होते हैं। यह दर्शन विशेष रूप से चार प्रमुख भागों में विभाजित है:
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साधना पाद (Sadhana Pada):
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वर्णन: यह भाग योगाभ्यास के सिद्धांतों और विधियों पर केंद्रित है। इसमें योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) का विवरण दिया गया है: यम (सामाजिक नैतिकता), नियम (व्यक्तिगत अनुशासन), आसन (शारीरिक मुद्राएँ), प्राणायाम (सांस की नियंत्रण विधियाँ), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारणा (ध्यान की तैयारी), ध्यान (ध्यान की प्रक्रिया), और समाधि (पूर्ण ध्यान की अवस्था)।
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उद्देश्य: साधना पाद का उद्देश्य योग के अभ्यास के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करना है, ताकि साधक आत्मा की सही पहचान और उसकी योग्यता को समझ सके।
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