“व्याप्तिपरीक्षा” श्री माथुरी जगदीशदीश के द्वारा लिखित एक प्रमुख ग्रंथ है, जो भारतीय दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में माना जाता है। यह ग्रंथ विशेषतः “व्याप्ति” या “सामान्यता” के सिद्धांत को समझने और विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
श्री माथुरी जगदीशदीश एक प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री और विचारक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन की गहरी समझ के माध्यम से उसके विभिन्न पहलुओं को उजागर किया। “व्याप्तिपरीक्षा” में, उन्होंने व्याप्ति के सिद्धांत को व्याख्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया है और इसे भारतीय दर्शनशास्त्र के संदर्भ में समझाया है।
डॉ. महेश झा के “व्याप्तिपरीक्षा” का अध्ययन दर्शनशास्त्र के अन्यथासिद्धि और तर्कशास्त्र के विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हो सकता है। इस ग्रंथ में व्याप्ति के सिद्धांत की विवेचना एवं विस्तारपूर्ण विवेचन की गई है, जो छात्रों और अन्य दर्शनशास्त्र प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण धारणा के रूप में कार्य कर सकता है।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.