वास्तुमण्डनम् पुस्तक श्रीकृष्ण जुगनू द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों और प्रथाओं पर आधारित है। यह पुस्तक प्राचीन भारतीय वास्तुकला के सिद्धांतों का एक व्यापक अध्ययन प्रस्तुत करती है, जो न केवल वास्तु निर्माण के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयामों का भी गहन विश्लेषण करती है।
इस पुस्तक में निम्नलिखित प्रमुख विषयों का समावेश किया गया है:
- वास्तु शास्त्र का परिचय: इस ग्रंथ में वास्तु शास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों का परिचय दिया गया है। यह प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भवन निर्माण और उसकी संरचना के नियमों को बताता है।
- भूमि और भवन का चयन: वास्तुमण्डनम् में भूमि के चयन, उसकी जांच और भवन के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान का निर्धारण करने के सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें भूमि की दिशा, आकार, और स्थान के महत्व को भी समझाया गया है।
- भवन निर्माण के नियम: इस पुस्तक में भवन के विभिन्न अंगों—जैसे मुख्य द्वार, कमरे, रसोई, पूजा स्थल, और जल स्रोतों—की स्थिति और उनके निर्माण के नियमों का विस्तृत विवरण है। यह पुस्तक इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करती है कि इन सभी अंगों का निर्माण किस प्रकार से भवन के निवासियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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