“वाक्यपदीयम” प्रो. हरिनारायण तिवारी द्वारा लिखित है, और यह पाँच खंडों (5 खंडों) में विभाजित है। यह संस्कृत व्याकरण के अद्वितीय ग्रंथों में से एक है जो भारतीय व्याकरण की महत्वपूर्ण धारणाओं और सिद्धांतों पर आधारित है।
“वाक्यपदीयम” महाकवि भार्तृहरि द्वारा रचित व्याकरण महाग्रंथ है, जो वाक्य, पद, धातु, संधि, उपसर्ग, प्रत्यय, आदि के सिद्धांतों को समझाता है। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा की गहरी समझ को बढ़ावा देता है और संस्कृत साहित्य और विचार के संपूर्ण क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में माना जाता है।
प्रो. हरिनारायण तिवारी जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया यह पाठ विभिन्न ग्रंथों और सिद्धांतों के समृद्ध विश्लेषण के साथ एक महत्वपूर्ण संस्कृत भाषा का अध्ययन करने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
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