“Tarka Samgraha” श्री शाश्वतानंद झा द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में अहम् योगदान के रूप में माना जाता है। यह ग्रंथ तार्किक विवादों और तर्क-शास्त्रीय नियमों को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है।
श्री शाश्वतानंद झा एक प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री और विचारक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया और उन्हें समझने का प्रयास किया। “तार्क संग्रह” में, उन्होंने तार्किक विवादों के सिद्धांतों को व्याख्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया है और इसे भारतीय दर्शनशास्त्र के संदर्भ में समझाया है।
श्री शाश्वतानंद झा के “तार्क संग्रह” का अध्ययन दर्शनशास्त्र के अन्यथासिद्धि और तर्कशास्त्र के विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हो सकता है। इस ग्रंथ में तार्किक विवादों के सिद्धांत की विवेचना एवं विस्तारपूर्ण विवेचन की गई है, जो छात्रों और अन्य दर्शनशास्त्र प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण धारणा के रूप में कार्य कर सकता है।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.