श्रीरेणुकातन्त्रम् एवं प्रचण्डचंडिकातन्त्रम् कपिलदेव नारायण द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो तंत्र शास्त्र के गूढ़ और शक्तिशाली साधनाओं पर आधारित है। यह ग्रंथ विशेष रूप से देवी रेणुका और देवी चंडिका की उपासना और साधना पर केंद्रित है, जो तांत्रिक परंपरा में अत्यधिक प्रभावशाली और पूजनीय मानी जाती हैं।
श्रीरेणुकातन्त्रम् भाग में देवी रेणुका की उपासना, उनके मंत्र, अनुष्ठान, और साधना की विधियों का विस्तृत वर्णन किया गया है। देवी रेणुका तंत्र साधना में एक विशेष स्थान रखती हैं और उनकी उपासना से साधक को अद्वितीय शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है। इस भाग में देवी रेणुका के विभिन्न स्वरूपों, उनके ध्यान और पूजा की पद्धतियों का भी उल्लेख किया गया है।
प्रचण्डचंडिकातन्त्रम् भाग में देवी चंडिका की साधना का विस्तार से वर्णन किया गया है। देवी चंडिका, जिन्हें प्रचंड रूप में जाना जाता है, तंत्र साधना में उनके रौद्र और शक्तिशाली रूप के लिए पूजी जाती हैं। इस ग्रंथ में देवी चंडिका की आराधना से संबंधित विभिन्न मंत्र, यंत्र, और अनुष्ठान विधियों का वर्णन किया गया है, जो साधक को शक्ति, साहस, और रक्षा प्रदान करते हैं।
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