श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड (Sundarkand) में भगवान राम के जीवन की एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कथा वर्णित है। यह कांड विशेष रूप से हनुमान जी के चरित्र, उनकी शक्ति और भक्ति पर आधारित है। सुंदरकांड में कुल 68 सर्ग (अध्याय) होते हैं, जो हनुमान जी की सीता की खोज, उनकी वानर सेना की सहायता, और रावण के खिलाफ युद्ध की तैयारी का विवरण देते हैं।
सुंदरकांड की प्रमुख विशेषताएँ और विवरण इस प्रकार हैं:
- प्रमुख पात्र:
- हनुमान जी: इस कांड में हनुमान जी की भक्ति, साहस और समर्पण की प्रधानता है। वे सीता माता की खोज में श्रीराम के संदेश को लेकर लंका पहुँचते हैं।
- सीता माता: सीता का हरण रावण द्वारा किया गया था और उनकी खोज हनुमान जी द्वारा की जाती है।
- रावण: सीता के अपहरणकर्ता के रूप में रावण की भूमिका का विवरण इस कांड में मिलता है।
- मुख्य घटनाएँ:
- सीता की खोज: हनुमान जी समुद्र पार कर लंका पहुँचते हैं और सीता माता से मिलते हैं। वे सीता को राम का संदेश देते हैं और उन्हें आश्वस्त करते हैं।
- सीता को संजीवनी: हनुमान जी रावण के महल में आग लगाते हैं और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। वे सीता को राम का संदेश देते हैं और वापस आते हैं।
- सुग्रीव और हनुमान जी की मित्रता: हनुमान जी द्वारा सुग्रीव को राम से मिलवाने और रावण के खिलाफ सेना तैयार करने की योजना बनाते हैं।
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