श्री दुर्गा सप्तशती
लेखक: आचार्य पं. दीपक पुरोहित शास्त्री
श्री दुर्गा सप्तशती हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय ग्रंथों में से एक है। यह ग्रंथ देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है और इसे नवदुर्गा पूजा, नवरात्रि, और अन्य धार्मिक अवसरों पर विशेष रूप से पढ़ा और सुना जाता है। आचार्य पं. दीपक पुरोहित शास्त्री द्वारा संपादित और व्याख्यायित यह संस्करण उन साधकों और भक्तों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो देवी दुर्गा की आराधना के माध्यम से आत्मिक शांति और सुरक्षा की प्राप्ति करना चाहते हैं।
इस पुस्तक में 700 श्लोक हैं जो मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत आते हैं। इन्हें तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है:
- प्रथम चरित्र: इस भाग में देवी महाकाली की कथा और उनके द्वारा मधु और कैटभ नामक असुरों का संहार किया गया है। यह कथा हमें शक्ति और साहस की महत्ता सिखाती है।
- मध्यम चरित्र: इस भाग में देवी महालक्ष्मी की कथा है, जिसमें देवी ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया। यह कथा समर्पण, भक्ति और धर्म की जीत की प्रतीक है।
- उत्तर चरित्र: इस अंतिम भाग में देवी महासरस्वती की कथा है, जिसमें शुंभ और निशुंभ नामक दैत्यों का वध होता है। यह भाग ज्ञान, विद्या, और सच्चाई की महत्ता को दर्शाता है।
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