“शिव संहिता” एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जो योग और तंत्र के विभिन्न पहलुओं को समझाता है। इस ग्रंथ को लिखा गया है और प्राचीन ऋषियों द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें योग के अनेक विधानों, ध्यान के तकनीकों, प्राणायाम, ध्यान, और ध्यान की अद्भुत शक्तियों का विवरण है।
“पंडित हरिहर प्रसाद त्रिपाठी” का नाम शिव संहिता के एक प्रसिद्ध टिप्पणीकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने “शिव संहिता” पर टिप्पणी की है और इस ग्रंथ को समझाने और समझने में सहायक है। उनकी टिप्पणी ग्रंथ को समझने और उसमें व्याख्या करने में महत्वपूर्ण साबित होती है।
कृपया ध्यान दें कि बिना विशेष विवरणों या संदर्भों के, मैं डॉ. हरिहर प्रसाद त्रिपाठी की “शिव संहिता” पर किसी विस्तृत विवरण की प्रदान नहीं कर सकता। यदि आपके पास किसी विशेष संस्करण या टिप्पणी का संदेश है, तो मुझे उसके आधार पर अधिक जानकारी प्रदान करने का प्रयास कर सकते हैं।






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