षट्चक्रनिरुपणम् (Shatacakranirupanam) भारत भूषण द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण योग और तंत्र ग्रंथ है, जो मानव शरीर में स्थित षट्चक्रों (छह चक्रों) के सिद्धांतों और उनके रहस्यों का विशद वर्णन करता है। यह पुस्तक योग और तंत्र की पारंपरिक साधना में चक्रों के महत्व और उनकी भूमिका को समझाने के लिए रची गई है।
षट्चक्रनिरुपणम् में शरीर के अंदर स्थित छह प्रमुख चक्रों—मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध, और आज्ञा चक्र—का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रत्येक चक्र का महत्व, उसकी स्थिति, उससे संबंधित मंत्र, और उसे जागृत करने की विधियां इस पुस्तक में दी गई हैं।
पुस्तक में चक्रों की साधना के माध्यम से आत्मिक उन्नति, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लाभ, और चेतना के उच्चतर स्तरों को प्राप्त करने के उपाय बताए गए हैं। भारत भूषण ने इस ग्रंथ में चक्र साधना के विभिन्न पहलुओं को सरल और सुलभ भाषा में प्रस्तुत किया है, जिससे यह पुस्तक न केवल विद्वानों और योग साधकों के लिए बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी है।
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