शक्तिपीठ हिंदू धर्म में प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जो देवी सती के शरीर के अंगों की पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं। ये स्थलों को देवी शक्ति की उपस्थिति और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि देवी सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काटा गया था और ये टुकड़े विभिन्न स्थानों पर गिरे थे। इन स्थलों को शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है।
शक्तिपीठ दर्शन में प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदुओं को समझा जा सकता है:
- शक्तिपीठों का महत्व: शक्तिपीठों की पूजा विशेष रूप से देवी की शक्ति और महिमा को मान्यता देने के लिए की जाती है। इन स्थलों पर देवी सती की उपस्थिति की भावना और उनके दिव्य गुणों का अनुभव करने की आशा होती है।
- प्रमुख शक्तिपीठ:
- काठमांडू (नेपाल): स्वयम्भूनाथ (सुगन्धा) पीठ
- कालिम्पोंग (भारत): कालीघाट पीठ
- बिहार (भारत): मधुसागर पीठ
- अहमदाबाद (भारत): अंबाजी पीठ
- सिद्धपुर (भारत): पाटन पीठ
- पूजा विधि: प्रत्येक शक्तिपीठ की पूजा विधि विशेष होती है, लेकिन सामान्यतः पूजा में देवी के मंत्रों का जाप, यज्ञ, हवन, भोग अर्पण और आरती की जाती है।
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