सौभाग्यरत्नाकरः (सौभाग्य रत्नाकर) कपिलदेव नारायण द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत रत्न विज्ञान और उसके प्रभावों पर केंद्रित है। यह पुस्तक रत्नों की शक्तियों, उनके चयन, और उपयोग के माध्यम से जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाने के उपायों का विस्तृत वर्णन करती है।
इस ग्रंथ में विभिन्न रत्नों की विशेषताओं, उनके धारण के लाभों, और विभिन्न ग्रहों के साथ उनके संबंधों का उल्लेख किया गया है। लेखक ने प्रत्येक रत्न के बारे में विस्तार से जानकारी दी है, जैसे उसका रंग, प्रकार, और किस राशि या ग्रह के लिए वह उपयुक्त है। इसके अलावा, रत्नों के सही धारण करने के तरीकों, उनकी शुद्धि, और उनके प्रभावों को बढ़ाने के लिए आवश्यक अनुष्ठानों का भी उल्लेख किया गया है।
सौभाग्यरत्नाकरः में रत्नों के चिकित्सा उपयोग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव, और उनके द्वारा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के तरीकों पर भी प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक रत्न विज्ञान में गहरी रुचि रखने वाले विद्वानों, ज्योतिषियों, और साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ सामग्री है।
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