सांख्य कारिका (Samkhya Karika) भारतीय दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे महर्षि कपिल ने रचा था। यह ग्रंथ सांख्य दर्शन के मूल सिद्धांतों को स्पष्टता से प्रस्तुत करता है। इसमें प्रकृति और पुरुष के बीच के विवेक, गुणों के विश्लेषण, और ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति की सिद्धांतिक व्याख्या की गई है।
**सांख्य कारिका** में मुख्य विषय इस प्रकार हैं:
1. **तत्त्वत्रय** – इसमें सांख्य दर्शन के तीन मुख्य तत्त्वों का वर्णन है: प्रकृति, महत्, और अहंकार। यह तत्त्व प्रकृति के विकारों का निरूपण करते हैं।
2. **गुणात्मिका प्रकृति** – गुणों (सत्त्व, रजस, तमस) के विश्लेषण और इनके प्रभावों की चर्चा।
3. **मोक्ष** – सांख्य के अनुसार मोक्ष का सिद्धांत, जिसमें व्यक्ति प्रकृति से अलग होकर पुरुष की स्थिति में पहुंचता है।
सांख्य कारिका एक गंभीर, तात्पर्यपूर्ण ग्रंथ है जो मननीय प्रकृति और आत्मा के तत्त्व को समझाने में मदद करता है। इसे आधुनिक भाषाओं में भी अनुवादित किया गया है ताकि आधुनिक पाठक भी इसकी समझ पा सकें।
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