साधन संग्राम (3 खंडों का सेट) – श्री महेशानंद गिरिजी
“साधन संग्राम” श्री महेशानंद गिरिजी द्वारा रचित तीन खंडों में विभाजित एक प्रेरणादायक और गहन आध्यात्मिक ग्रंथ है। इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य साधना के मार्ग पर आने वाली बाधाओं, चुनौतियों, और संघर्षों को समझाकर आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर साधकों का मार्गदर्शन करना है।
श्री महेशानंद गिरिजी ने इस ग्रंथ में साधना के विभिन्न पक्षों पर गहन चिंतन और विश्लेषण किया है। यह ग्रंथ साधना के विभिन्न स्तरों पर प्रकाश डालता है, जैसे प्रारंभिक साधना, ध्यान, आत्म-अन्वेषण, और अंततः मोक्ष की प्राप्ति। पुस्तक में आत्मा के शुद्धिकरण, योग, ध्यान, और जीवन में संयम और अनुशासन की आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की गई है।
प्रत्येक खंड में साधक को जीवन के संघर्षों, मानसिक अशांति, और आंतरिक तथा बाह्य बाधाओं से जूझने के उपाय सुझाए गए हैं। इसके साथ ही, आत्मिक शक्ति और धैर्य के माध्यम से इन बाधाओं को कैसे पार किया जा सकता है, इसका भी मार्गदर्शन दिया गया है। “साधन संग्राम” में श्री महेशानंद गिरिजी ने शास्त्रीय उद्धरणों और व्यक्तिगत अनुभवों के साथ पाठकों को प्रेरित किया है कि वे आत्मज्ञान और मोक्ष के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ें।
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