रतिमंजरी (Rati Manjari) – लेखक: विद्या भूषण द्विवेदी
रतिमंजरी विद्या भूषण द्विवेदी द्वारा रचित एक महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय ग्रंथ है, जो प्राचीन भारतीय कामशास्त्र के अंतर्गत रति (यौन सुख) और उसके विभिन्न आयामों पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में शारीरिक संबंधों को सुखद और संतुलित बनाने के उपायों पर केंद्रित है।
इस ग्रंथ में रति (सहवास) की कला, यौन संबंधों की विविधता, और उन तरीकों का विस्तृत वर्णन है जिनसे यौन जीवन को समृद्ध और आनंदमय बनाया जा सकता है। विद्या भूषण द्विवेदी ने इस पुस्तक में न केवल शारीरिक संतोष पर बल दिया है, बल्कि यौन क्रियाओं में भावनात्मक और मानसिक संतुलन का भी महत्व बताया है।
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