मत्स्य महापुराण (Matsya Mahapurana) हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है। इसे विशेष रूप से ‘मत्स्य पुराण’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पुराण मुख्यतः विभिन्न धार्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों पर चर्चा करता है और इसमें मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं का विवरण होता है:
- रचना और संरचना:
- मत्स्य पुराण का मुख्य ग्रंथ 14,000 श्लोकों का होता है, जो विभिन्न कांडों में विभाजित है।
- इसमें मुख्य रूप से 266 अध्याय होते हैं, जो विविध धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं का वर्णन करते हैं।
- मुख्य विषय:
- सृष्टि कथा: मत्स्य पुराण में सृष्टि के निर्माण की कथा का वर्णन है, जिसमें ब्रह्मा और अन्य देवताओं की भूमिका और कार्यों का विवरण दिया गया है।
- धर्म और नैतिकता: इसमें धार्मिक और नैतिक विषयों पर प्रकाश डाला गया है, जैसे यज्ञ, तपस्या, दान, और पूजा की विधियाँ।
- भविष्यवाणी और शास्त्र: इसमें भविष्यवाणी, खगोलशास्त्र, और वैदिक गणना के बारे में जानकारी दी गई है।
- पौराणिक कथाएँ: मत्स्य पुराण में कई पौराणिक कथाएँ और लोककथाएँ वर्णित हैं, जो धार्मिक शिक्षाओं और संस्कारों को स्पष्ट करती हैं।
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