“दुर्वासाऋषिकृत ललितास्तवरत्न एवं त्रिपुरमहिम्नस्त्रोत” – श्री मधुसूदन प्रसाद शुक्ल
यह पुस्तक, जिसमें दुर्वासा ऋषि द्वारा रचित ‘ललितास्तवरत्न’ और ‘त्रिपुरमहिम्नस्त्रोत’ का समावेश है, भारतीय तंत्र विद्या और धार्मिक ग्रंथों का महत्वपूर्ण संग्रह है।
- ललितास्तवरत्न: यह ग्रंथ देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी की स्तुति के रूप में लिखा गया है। इसमें देवी के विभिन्न रूपों और गुणों की विस्तार से चर्चा की गई है, और इसे देवी के भक्ति साधना में एक महत्वपूर्ण पाठ माना जाता है।
- त्रिपुरमहिम्नस्त्रोत: यह स्तोत्र देवी त्रिपुरसुंदरी की महिमा और शक्तियों का वर्णन करता है। इसमें देवी की पूजा, उनकी कृपा और उनके दिव्य गुणों की महिमा का बखान किया गया है। यह ग्रंथ भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
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