“लघुशब्देन्दुशेखर (पञ्चसंध्यन्तोभाग)” एक महत्वपूर्ण संस्कृत व्याकरण ग्रंथ है, जिसे विद्या वाचस्पति श्री ब्रह्मदत्त जी ने लिखा है। यह ग्रंथ पाणिनीय व्याकरण के नियमों और सिद्धांतों का संक्षिप्त और सरल वर्णन प्रस्तुत करता है, विशेषकर संधि (शब्दों के संयोग) के विषय में।
मुख्य विशेषताएँ:
संधि के प्रकार: यह ग्रंथ पाँच प्रमुख संधियों—स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि, अनुनासिक संधि, और विशेष संधि—का विस्तारपूर्वक वर्णन करता है।
सरल भाषा: संधि के नियमों और उनके अपवादों को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को समझने में आसानी होती है।
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