कपिलपुराणम् (Kapilpuranam) एक महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रंथ है, जिसे कृष्णमणि त्रिपाठी द्वारा रचित किया गया है। यह ग्रंथ भारतीय दर्शन और अध्यात्म में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह सांख्य दर्शन के प्रवर्तक महर्षि कपिल मुनि की शिक्षाओं और उपदेशों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
पुस्तक के मुख्य विषय:
- कपिल मुनि का जीवन: कपिल मुनि के जन्म, उनके तपस्या और उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान का विवरण।
- सांख्य दर्शन: इस ग्रंथ में सांख्य दर्शन की महत्वपूर्ण अवधारणाओं का विस्तृत वर्णन है। यह दर्शन अद्वैत वेदांत से अलग, प्रकृति और पुरुष के दो तत्वों की स्पष्ट व्याख्या करता है।
- योग और ध्यान: कपिल मुनि द्वारा बताए गए योग और ध्यान के विभिन्न रूपों और उनकी विधियों का उल्लेख है।
- भक्ति और ज्ञान का संगम: ग्रंथ में भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग के महत्व को दर्शाया गया है और कैसे दोनों का संतुलन साधने से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, इसका उल्लेख किया गया है।
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