जगदीशिव्याधिकारणम् स्वामी रोमप्रपन्नाचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण संस्कृत ग्रंथ है, जिसमें वेदान्त दर्शन के जटिल सिद्धांतों और तात्त्विक चिंतन की गहन व्याख्या की गई है। यह ग्रंथ विशेष रूप से अद्वैत वेदान्त पर आधारित है और भगवद्गीता, उपनिषदों, और ब्रह्मसूत्रों के मर्म को समझाने का प्रयास करता है।
मुख्य विषय:
सिद्धांत: इस ग्रंथ में परमात्मा की अनन्यता और जीवात्मा के साथ उसके अभिन्न संबंध की चर्चा की गई है।
तत्त्वज्ञान: इसमें अद्वैत वेदान्त के प्रमुख तत्त्वों, जैसे कि माया, ब्रह्म, आत्मा, और मोक्ष की विस्तार से व्याख्या की गई है।
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.