“ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविमर्शिनी (ज्ञानाधिकार:)” (Ishwar Pratyabhijna Vimarshini) द्वारा दयाशंकर शास्त्री एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भारतीय दार्शनिकता और तंत्र विद्या के गहरे पहलुओं पर प्रकाश डालता है। यह पुस्तक विशेष रूप से शैव तंत्र और प्राचीन भारतीय दार्शनिक ग्रंथों के अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए है।
मुख्य विषय:
- ईश्वर प्रत्यभिज्ञा: पुस्तक का मुख्य विषय शैव तंत्र की एक महत्वपूर्ण विचारधारा “ईश्वर प्रत्यभिज्ञा” है, जो आत्मा की स्वाधीनता और ईश्वर के साथ एकता की अवधारणा पर आधारित है। इसमें आत्मा की पहचान और ईश्वर के साथ उसकी मौलिक एकता के सिद्धांत की व्याख्या की गई है।
- ज्ञानाधिकार: इस पुस्तक में ज्ञानाधिकार के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है। ज्ञानाधिकार वह अधिकार है जो व्यक्ति को ब्रह्मा और ईश्वर के सच्चे स्वरूप को समझने और अनुभव करने की क्षमता प्रदान करता है।
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