श्रीघेरण्ड संहिता राघवीय (हिंदी टीका)” रघवेंद्र शर्मा राघव द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें घेरंड संहिता के मूल ग्रंथ की हिंदी में टीका (व्याख्या) प्रस्तुत की गई है। यह ग्रंथ हठयोग के प्रमुख स्रोतों में से एक है, और रघवेंद्र शर्मा राघव ने इसे सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत किया है ताकि योग साधक और पाठक इसके गूढ़ रहस्यों को आसानी से समझ सकें।
पुस्तक का विवरण:
“श्रीघेरण्ड संहिता राघवीय” घेरंड मुनि द्वारा रचित हठयोग का एक प्रतिष्ठित ग्रंथ है, जिसमें योग के सात अंगों का वर्णन किया गया है। रघवेंद्र शर्मा राघव ने इस ग्रंथ की टीका के माध्यम से पाठकों को योग के सिद्धांतों, प्रथाओं और उनके लाभों का विस्तृत और सटीक विवरण प्रदान किया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- सात अंगों का विवरण: पुस्तक में हठयोग के सात प्रमुख अंगों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जो हैं – षट्कर्म, आसन, मुद्राएँ, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान, और समाधि। यह पुस्तक इन सात अंगों की उपयोगिता और उन्हें अभ्यास में लाने के तरीके पर प्रकाश डालती है।
- हिंदी टीका: रघवेंद्र शर्मा राघव ने इस पुस्तक में घेरंड संहिता के श्लोकों का सरल और स्पष्ट हिंदी में अनुवाद और व्याख्या की है, जिससे यह ग्रंथ आधुनिक युग के पाठकों के लिए अधिक सुलभ हो जाता है। उनकी टीका ने ग्रंथ के गहरे आध्यात्मिक और व्यावहारिक पहलुओं को समझना आसान बना दिया है।
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