“Dhatu Rupavali (Saral)” पं. श्री प्रदीप झा द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो संस्कृत धातुओं के सरल रूप प्रदान करती है। यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो संस्कृत व्याकरण और धातु रूपों का अध्ययन कर रहे हैं। इस पुस्तक में धातुओं के विभिन्न रूपों को विस्तार से समझाया गया है, जिससे छात्रों को संस्कृत भाषा के अध्ययन में सहायता मिलती है।
इस पुस्तक में धातुओं के विभक्ति, लकार और अन्य व्याकरणिक रूपों को क्रमबद्ध और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया गया है। पं. श्री प्रदीप झा ने इस पुस्तक को इस प्रकार से तैयार किया है कि यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो।
इस पुस्तक को चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी द्वारा प्रकाशित किया गया है और इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए तैयार किया गया है जो संस्कृत के प्रारंभिक और मध्यवर्ती स्तर पर अध्ययन कर रहे हैं【30†source】【31†source】【32†source】।
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