भारतीय प्रतिमाशास्त्र – पारम्परिक प्रवृत्तियाँ
लेखक: डॉ. अनुभूति चौहान
विवरण:
“भारतीय प्रतिमाशास्त्र – पारम्परिक प्रवृत्तियाँ” डॉ. अनुभूति चौहान द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो भारतीय प्रतिमाशास्त्र (आइकनोग्राफी) की पारंपरिक प्रवृत्तियों और उनकी गहन अवधारणाओं पर आधारित है। यह ग्रंथ भारतीय मूर्तिकला, देवताओं की प्रतिमाओं, और धार्मिक कला के विभिन्न पहलुओं का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
पुस्तक में भारतीय प्रतिमाशास्त्र की जड़ों, उसके विकास, और विविध शास्त्रीय नियमों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जो मूर्तियों की रचना और निर्माण के पीछे निहित गहन धार्मिक और दार्शनिक सिद्धांतों को स्पष्ट करता है। इसमें भारतीय देवताओं, उनकी आकृतियों, मुद्राओं, और शिल्प कला के प्रतीकों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. अनुभूति चौहान ने इस पुस्तक में भारतीय मूर्तिकला के ऐतिहासिक और पारंपरिक दृष्टिकोणों पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें हिंदू, बौद्ध, और जैन प्रतिमाशास्त्र की समृद्ध परंपराओं को स्थान दिया गया है। पुस्तक में शास्त्रीय ग्रंथों जैसे शिल्पशास्त्र, वास्तुशास्त्र, और अन्य प्रतिमाशास्त्र संबंधी ग्रंथों का भी उल्लेख है, जो इस विषय को और अधिक प्रामाणिक बनाता है।
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