भारतीय दर्शन में योग
(लेखक: डॉ. अवधेश यादव)
भारतीय दर्शन में योग पुस्तक डॉ. अवधेश यादव द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो भारतीय दर्शन में योग की भूमिका और उसके महत्व को गहराई से समझाता है। यह पुस्तक योग के विभिन्न पक्षों और उसके दार्शनिक आधार पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय दर्शन के प्रमुख स्कूलों में योग के योगदान और उसकी प्रासंगिकता का विश्लेषण किया गया है।
डॉ. अवधेश यादव इस पुस्तक में योग को केवल शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यापक जीवनशैली और दर्शन के रूप में प्रस्तुत करते हैं। पुस्तक में योग के ऐतिहासिक विकास, उसके मुख्य ग्रंथों (जैसे पातंजल योगसूत्र), और उपनिषदों, भगवद गीता, और वेदांत दर्शन में योग की अवधारणाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।
यह पुस्तक न केवल योग के शारीरिक और मानसिक लाभों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे योग भारतीय दर्शन में आत्मा, परमात्मा, और मोक्ष की प्राप्ति के साधन के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है
भारतीय योगशास्त्र-इतिहासपरक, सैद्धान्तिक एवं साधनात्मक विवेचन (दो खंडों का सेट)
(लेखक: डॉ. श्यामकांत द्विवेदी और प्रोफेसर ज्ञानशंकर सहाय)
भारतीय योगशास्त्र-इतिहासपरक, सैद्धान्तिक एवं साधनात्मक विवेचन एक विस्तृत और समग्र अध्ययन है, जो भारतीय योग के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक के दो खंडों में भारतीय योग की ऐतिहासिक, सैद्धान्तिक, और साधनात्मक परिप्रेक्ष्य से विवेचन किया गया है।
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