भैषज्यरत्नावली एक प्रमुख आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जिसे आचार्य सूरनाथ ने लिखा है। यह ग्रंथ विशेष रूप से औषधियों के उपयोग और उनकी चिकित्सा विधियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें ३०० से अधिक औषधियों के बारे में विवरण है और यह विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए औषधियों के संयोजन की विधि पर केंद्रित है।
भैषज्यरत्नावली में औषधियों की प्रकृति, उनके गुण, उनके प्रयोग की विधि और रोगों के इलाज के लिए औषधियों के संयोजन पर विस्तृत जानकारी दी गई है। यह ग्रंथ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है और इसे आयुर्वेदाचार्यों द्वारा व्यापक रूप से अध्ययन और प्रयोग में लाया जाता है।
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