भैषज्य रत्नावली एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जिसे गोविन्ददास सेन ने लिखा था। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग होने वाले औषधियों का विवरण प्रदान करना है। भैषज्य रत्नावली में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- रोगों का वर्गीकरण: इस ग्रंथ में विभिन्न रोगों का वर्गीकरण किया गया है और उनके उपचार के लिए विशेष औषधियों का वर्णन किया गया है।
- औषधियों का विवरण: इसमें विभिन्न प्रकार की औषधियों, उनके गुण, उपयोग और निर्माण विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है।
- उपचार विधियाँ: भैषज्य रत्नावली में उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों का विवरण है, जिसमें पंचकर्म, शोधन, शमन आदि शामिल हैं।
- प्राकृतिक तत्वों का उपयोग: इस ग्रंथ में प्राकृतिक तत्वों, जैसे जड़ी-बूटियों, खनिजों और धातुओं का उपयोग कैसे किया जाए, इसका वर्णन है।
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