आष्टांग संग्रह (Ashtanga Samgraha) 2 खंडों का विवरण:
आष्टांग संग्रह एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जिसकी रचना प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य वाग्भट ने की थी। इस ग्रंथ में आयुर्वेद के आठ अंगों का व्यापक और व्यवस्थित विवरण प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से दो खंडों में विभाजित है:
- प्रथम खंड:
- सुत्रस्थान: इसमें आयुर्वेद के मूल सिद्धांत, शरीर रचना, और जीवन शैली के नियम शामिल हैं।
- शारीरस्थान: इसमें शरीर के विभिन्न अंगों, उनके कार्यों और संरचना का वर्णन है।
- निदानस्थान: इसमें विभिन्न रोगों के निदान के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन है।
- चिकित्सास्थान: इसमें रोगों के उपचार, औषधियों और चिकित्सा पद्धतियों का विवरण है।
- द्वितीय खंड:
- कल्पस्थान: इसमें विष चिकित्सा और उनके उपचार का वर्णन है।
- उत्तरस्थान: इसमें बाल रोग, स्त्री रोग, और शल्य चिकित्सा का विवरण है।
आष्टांग संग्रह का उद्देश्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं का संपूर्ण ज्ञान प्रदान करना है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह ग्रंथ आयुर्वेद के विद्यार्थियों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
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