अष्टांगसंग्रह रविदत्त त्रिपाठी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जो आयुर्वेद के आठ अंगों (अष्टांग) के समग्र ज्ञान और सिद्धांतों पर केंद्रित है। यह पुस्तक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली की गहन और व्यवस्थित व्याख्या प्रस्तुत करती है, जो छात्रों, चिकित्सकों, और शोधकर्ताओं के लिए एक मूल्यवान संदर्भ है।
पुस्तक में निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई है:
- आयुर्वेद के आठ अंग (अष्टांग): पुस्तक में आयुर्वेद के आठ प्रमुख अंगों का विवरण दिया गया है, जिनमें चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, स्त्री रोग, बाल रोग, और अन्य महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
- सिद्धांत और अभ्यास: ग्रंथ में प्रत्येक अंग के सिद्धांतों, उनके चिकित्सा दृष्टिकोण और व्यावहारिक अनुप्रयोगों का विश्लेषण किया गया है। यह पुस्तक आयुर्वेदिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती है, जिससे पाठक को उनके प्रयोग और प्रभाव को समझने में मदद मिलती है।
- पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोण: रविदत्त त्रिपाठी ने पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हुए प्रस्तुत किया है, जिससे आयुर्वेदिक चिकित्सा की पुरानी और नई विधियों की समझ को विस्तारित किया जा सके।
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